स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आँखों का निवास -ताजे फल एवं ताजी हरी सब्जियाँ शरीर को (एंटी-ऑक्सीडेंट) सप्लाई करते हैं, जिनसे बुढ़ापे की बीमारियाँ जैसे सफेद मोतिया एवं पर्दे की बीमारियाँ आदि होने के आसार कम होते है। फल, पत्तेदार हरी सब्जियाँ, पपीता, टमाटर एवं दूध आदि में विटामिन-ए होता है, जो स्वास्थ के लिए आवश्यक होता है।
1- आँखों को बार-बार मसले नहीं, गंदे हाथ तो बिल्कुल ना लगाएं।
2- तौलिए, रूमाल एवं चश्में एक-दूसरे के इस्तेमाल ना करें।
3- अगर आप ‘कान्टेक्ट लैंस’ लगाते हो तो उनको हाथ लगाने से पहले हाथ जरूर धोयें।
1- आँख की चोटे बच्चों में एक आँख के अंधेपन का एक प्रमुख कारण होती है।
2- होली और दीवाली संभल कर मनांए।
3- सूर्य ग्रहण को कभी नंगी आँखो या साधारण काले चश्में आदि से ना देखें।
4- बेल्डिंग पर सीधे देखना भी खतरनाक हो सकता है।
5- यू- वी- (पराबैंगनी) किरणे फिल्टर करन वाले चश्में ही पहने ताकि इन किरणों से होने वाली बीमारियाँ जैसे सफेद मोतिया आदि होने के आसार कम हों।
6- पोलीकार्बोनेट (एक तरह का बहुत मजबूत प्लास्टिक) के बने चश्में बहुत ही मजबूत एवं ना टूटने वाले होते हैं।
7- होली व दीपावली को बहुत सावधानी पूर्वक मनाएं ताकि खुद की और दूसरे की आँखों को चोट ना पहुँचे।
8- क्रिकेट, चिड़ी-छिक्का, टेनिस आदि से भी आँख को जबरदस्त चोट पहुँच सकती है। अतः इन्हें बहुत बचाव के साथ खेलें।
9- कभी-कभी बहुत साधारण सी लगने वाली चोट आँख के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है जैसे बच्चों में पेंसिल की चोट।
क्म्पयूटर पर सावधानियाँ-
1- बहुत अधिक कम्पयूटर पर काम जो बिना किसी अन्तराल (ब्रेक) के किया जाए आँखों को बेहद थकाने वाला हो सकता है।
2- आँखों को अतः बीच-बीच में झपकांए और उन्हे आराम दें। ‘20’ का नियम इसमें बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
3- कम्पयूटर स्क्रीन से किसी तरह की खतरनाक किरणें (रेडिएशन) नहीं आती।
4- कम्पयूटर स्क्रीन (मॉनीटर) को आँख के लेवल से नीचे रखें।
मोबाईल फोन पर सावधानियाँ-
1- आँखो को लगातार गढ़ा कर देखते रहने से आँखो की माँस पेशियों में खिचाव, दर्द व जलन महसूस हो सकती है।
2- शुष्क आँखों का यह एक महत्वपूर्ण कारण होता है।
3- आँखे शुष्क हो जाने से संक्रमण व आँखों में बार-बार दाने बन सकते है। ऐसे में आँखो को बार-बार मसले नहीं।
टी-वी- देखने में सावधानियाँ-
1- टी-वी- अधिक देखने के असर लगभग अधिक कम्पयूटर पर काम करने जैसे ही होते हैं।
1- टी-वी- अंधेरे कमरे में ना देखें।
2- टी-वी- देखने के लिए जो अधिकतम दूरी हो सके, उसी से देखे। जितनी दूरी कम होगी, उतना ही मांसपेशियों को अधिक जोर लगाना पडे़गा।
4- आस-पास की लाइटों से टी-वी- स्क्रीन प्र पड़ने वाले प्रतिबिम्बित किरणों से बचाव करें।
पढ़ते समय सावधानियाँ-
1- सही बैठ कर सही दूरी प्रआँखो के लिए पढ़ना जरूरी है।
2- अपने चेहरे की माँस पेशियों को तनाव में रखकर ना पढ़े।
3- आम पढ़ने की दूरी लगभग 1 फुट (30’’) होती है।
4- पुस्तक आमतौर पर पढ़ते समय ठुडडी के तुल्य (लेवल) से नीचे रखनी चाहिए।
5- कमरे में सही प्रकाश भी जरूरी है। चमकीले पन्नों से प्रतिबिम्बित हो कर प्रकाश आँखों पर दबाव डालता है।
अपवर्तन दोष-
1- कुछ लोगो को साफ देखने के लिए चश्मे की ज़रूरत पड़ती है। बच्चे खासकर नज़र की कमज़ोरी को माँ-बाप से छुपाए नहीं ।
2- चश्मा कई बार खानदानी बीमारी भी हो सकती है। अतः जिनको चश्मा लगा हो (उम्रवाला नही) तो अपने बच्चों के आँखो की जाँच अवश्य कराऐं।
3- विटामिन-ए का चश्में के नम्बर में कोई येागदान नही ंहै और ना ही विटामिन-ए उसे ठीक कर सकता है।
4- आँखो की कम से कम एक बार जाँच 7 साल की उम्र से पहले अति आवश्यक है। अन्यथा हो सकता है कि एक आँख की कमजोरी का पता ही ना चल पाए जिसे केवल 7 साल की उम्र से पहले ही ठीक किया जा सकता है।
नेत्र-बूदें
1- सभी आँखो की बिमारियों से बचाव अथवा इलाज की दूनिया भर में कोई जादुई बूंद नहीं है।
2- हमेशा कोई ना कोई नेत्र बूंद डालते रहना कोई अच्छी आदत नहीं है।
3- चिकनाई देने वाली बूंदे विशेष कर कम्पयूटर पर काम करने वालों को विशेष सहायता देती है।
4- सफेद मोतिया में कोई बूंदे कामयाब नहीं है।
आँखो की आम बीमारियाँ-
1- भारत में अंधेपन की संख्या दूनिया में सबसे अधिक है। (लगभग ढाई करोड़)।
2- सफेद मोतिया (मोतियाबिंद/बंजंतंबज) बढ़ती उम्र की एक आम बीमारी है। इसका इलाज केवल ऑपरेश ही होता है। इसमें आँख का लैंस सफेद पड़ जाता हैै जिसे बदलकर कृत्रिम लैंस लगा दिया जाता है।
3- काला मोतिया आँखो की एक खरतनाक बीमारी है जिसमें आँखों में एक बार अंधापन आने पर किसी तरह ठीक नही किया जा सकता है। इसका जल्दी निदान एवं उपचार अत्यधिक जरूरी है।
4- शुगर की बीमारी आँखो के लिए जान लेवा हो सकती है। शुगर धीरे-धीरेआँखों को दीमक की तरह खा जाती है। इसका भी श्रीध निदान एवं उपचार बहुत ज़रूरी होता है।
आँखों की बीमारियों से बचाव-
1- अच्छा एवं संतुलित भोजन बचपन से ही लें।
2- बच्चों एवं विभिन्न उद्योगों में लगे व्यक्तियों को आँख की चोटो से बचाव पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
3- हर बच्चे का पहला आँखो का चैक अप कम से कम 5 साल तक की उम्र तक अवश्य हो जाना चाहिए।
4- हर व्यक्ति को साल में एक बार अवश्य अपनी आँखो की जाँच नेत्र-विशेषज्ञ से करानी चाहिए विशेषकर यदि आप 40 वर्ष की उम्र से ज्यादा के है, आप चश्मा लगाते है या आपके खानदान में आँखो की कोई बीमारी है (जैसे सफेद मोतिया, काला मोतिया, शुगर आदि)।
5- आपकी आँखो की आपसे अच्छी और कोई देख भाल नहीं कर सकता अतः इन्हे स्वस्थ रखने में योगदान दें।
हम आपकी स्वस्थ आँखो के लिए प्रार्थना करते हैं!